मंगलवार, 27 जून 2017

उन्हें पैदाइशी हक चाहिए


उन्हें पैदाइशी हक चाहिए


वे दलित हैं, पिछड़े हैं,
उन्हें नौकरियों में आरक्षण चाहिए।
वे शोषित हैं, चिथड़े हैं,
उन्हें खेलों में आरक्षण चाहिए।
वे धर्मच्यूत हैं, बिगड़े हैं,
उन्हें धर्म में आरक्षण चाहिए।
उनकी अराजकता को कवरेज नहीं मिलती,
उन्हें मीडिया में आरक्षण चाहिए।
उन्हें पैदाइशी हक चाहिए।

शनिवार, 17 जून 2017

बकुलाही नदी





बकुलाही नदी

ओम प्रकाश तिवारी
बकुलाही नदी भारत की वेद वर्णित प्राचीन नदियों में से एक है। हिन्दुओं के प्रसिद्ध धार्मिक ग्रन्थ 'वाल्मीकि रामायणÓ में भी इस नदी का उल्लेख हुआ है। इस नदी का प्राचीन नाम 'बालकुनीÓ था, किन्तु बाद में परिवर्तित होकर 'बकुलाहीÓ हो गया। बकुलाही शब्द लोक भाषा अवधी से उद्धृत है। जनश्रुति के अनुसार बगुले की तरह टेढ़ी-मेढ़ी होने के कारण भी इसे बकुलाही कहा जाता है।

उदगम स्थल
बकुलाही नदी का उद्गम उत्तर प्रदेश के रायबरेली जनपद में स्थित 'भरतपुर झीलÓ से हुआ है। यहां से प्रवाहित होकर यह नदी 'बेंती झीलÓ, 'मांझी झीलÓ और 'कालाकांकर झीलÓ से जल ग्रहण करते हुए बड़ी नदी का स्वरूप ग्रहण करती है। जनपद मुख्यालय के दक्षिण में स्थित मान्धाता ब्लॉक को सींचती हुई यह नदी आगे जाकर जनपद के ही खजुरनी गांव के पास गोमती नदी की सहायक नदी सई में मिल जाती है।

पौराणिक उल्लेख
बकुलाही नदी का संक्षिप्त वर्णन वेद-पुराण समेत कई धर्मग्रंथों में है। महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित वाल्मीकि रामायण में बकुलाही नदी का उल्लेख किया गया है। वाल्मीकि रामायण में बकुलाही नदी का वर्णन इस प्रकार है, जब भगवान राम के वन से वापस आने की प्रतीक्षा में व्याकुल भरत के पास हनुमान राम का संदेश लेकर पहुंचते हैं, तो हनुमान जी से भरत जी पूछते हैं कि मार्ग में उन्होंने क्या-
क्या देखा। इस पर हनुमान जी का उत्तर होता है -
सो अपश्यत राम तीर्थम् च नदी बालकुनी तथा बरूठी,
गोमती चैव भीमशालम् वनम् तथा।
इसी तरह इस नदी का वर्णन श्री भयहरणनाथ चालीसा के पंक्ति क्रमांक 27 में इन शब्दों में है -
बालकुनी इक सरिता पावन।
उत्तरमुखी पुनीत सुहावन॥

बकुलाही तट पर स्थित धार्मिक स्थल
बकुलाही नदी के तट पर अनेक पौराणिक स्थल हैं। इसके तट पर महाभारत कालीन भयहरणनाथ धाम स्थित है। भयहरणनाथ धाम से कुछ दूरी पर प्राचीन सूर्य मंदिर स्थित है। विश्वनाथगंज के पास कुशफरा गांव में प्रख्यात शनि पीठ भी इसी नदी के तट पर स्थित है। इसके अलावा भी इस पावन नदी के तट पर अनेक धार्मिक स्थल हैं।